स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान देने योग्य बातें -इसे प्रतिदिन शुबह पढ़े तथा आत्मचिंतन कर-Things to pay attention to health security - read it daily and self-think
1. दिन में बार बार सुबह उठकर खास आत्म चिंतन करना कि मैं तंदुरुस्त हूँ , मैं रोगमुक्त हूँ । यह रोग
पीड़ा, जन्म, मरण बुढ़ापा शरीर का है । काम क्रोध ,लोभ चिंता , जैसे विकार मन में है । मैं शरीर
नहीं, मैं मन नहीं लेकिन मै निर्विकार शास्वत सत्य आत्मा हूँ ।
2. मन प्रसन रहने से किसी भी रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है । मन में चिन्ता , शोक , विषाद
रखने से किसी भी रोग पर नियंत्रण नहीं रहता और रोग जल्दी से बढ़ता है । रोग से छुटकारा पाना
मुश्किल जाता है ।
3. मन से ही सबको आरोग्यता की कामना करनी चाहिए । जैसी भावना हम दूसरों के प्रति करते है
ठीक वैसी भावना ही हमें वापस प्राप्त होती है ।अल्सर , कलाइटिस , ब्लडप्रेशर , डायविटीज और
मानस रोग पीड़ित रोगियों को और जिसका भी मन अशांत हो उनलोगों को गुरु तथा ईश्वर की मूर्ति
के सामने ध्यान करना चाहिए। मन को सत्संग एवम आध्यात्मिक चिंतन में लगाना चाहिए ।
4. आयुर्वेद के ऋषि मुनियों का स्पष्ट मत है की त्वचा की बीमाड़ियाँ , कैंसर , पागलपन , अपस्मार और
वर्तमान समय में कई दुसाध्य और असाध्य बीमाड़ियाँ होने के कारण रोगी के इस जन्म और पूर्व जन्मों
के पाप कर्म है। इन्हें नियमित रूप से गायत्री मंत्र , महामृत्युंजय मंत्र का जप और ॐ के ध्वनि का
उच्चारण करना चाहिए ।
5. जैसा हम अन्न ग्रहण करते है ठीक वैसा ही हमारा मन बनता है, इसलिए हमें सात्विक आहार लेना
चाहिए। पूर्ववत किये हुए भोजन का योग्य पाचन हो जाने के बाद भूख के अनुसार योग्य आहार लेना
आवश्यक है । बहुत सारी बीमाड़ियाँ तो भूख से अत्यधिक खाने के कारण से होती है । इसलिए भूख
से कम आहार लेना अत्यंत आवश्यक है । भोजन समय पर यानि सुबह 8 से 10 बजे तक नास्ता और
12 से 2 बजे तक भोजन तथा रात्री का भोजन 8 से 9 बजे तक कर लेना चाहिए । योग , आसन ,
पाणायाम , व्यायाम के कम से कम आधे घंटे बाद ही पेय पदार्थ और आहार ग्रहण करना चाहिए ।
आहार लेने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए । कम से कम आधा घंटा बाद पानी पीना चाहिय
तथा भोजन के बाद टहलना चाहिए । प्रतिदिन ब्रह्म मुर्हुत में उठना चाहिए ।
6. चाय , काफी, बीड़ी , पान -मसाला दारू , शराब या किसी भी प्रकार के अन्य व्यसनों की आदत से
बचना चाहिए ।
7. संसार व्यवहार ज्यादा करने से स्वास्थ्य की अत्यधिक हानि होती है ।अगर सम्भव हो तो ब्रह्मचर्य का
भी पालन करना चाहिए । इससे स्वास्थ सम्बन्धी परेशानियाँ कम होती है ।
1. Waking up in the morning again and again in the day, thinking about myself that I am healthy, I am sick. This disease is of suffering, birth, death and old age. Work anger, greed Anxiety, such as a disorder is in the mind. I am not a body, I am not a mind, but I am formless I am the eternal true soul.
2. Control of any disease can be achieved by being mindful. Worry in mind,
Mourning, keeping sadness does not control any disease and disease quickly
Increases. It is difficult to get rid of the disease.
3. Everyone should wish for health. The feeling of others
We get back exactly the same feeling. Alsars, Kalitis,
Blood Pressure, Diabetes and Mood Disease Patients and Whose Mind
Those who are disturbed should meditate in front of the idol of Guru and God.
The mind should be engaged in satsang and spiritual thinking.
4. It is clear from the sages of Ayurveda that skin insurance, cancer, Insanity, epilepsy and
many incurable and incurable insurance in present time Due to being, the sin of this birth
and past lives of the patient is karma. Regular the Gayatri Mantra, chanting of
Mahamrityunjaya Mantra and pronunciation of the sound of ॐshould do .
5. Our mind is formed as we receive food, so we Satvik diet should be taken. Once the
undigested food is digestible After that it is necessary to take a suitable diet according to
hunger.
Many insurances are due to excessive eating due to hunger. Hence It is extremely important to
eat a diet that is less than hungry. Food should be eaten on time i.e. from 8 to 10 in the
morning and from 12 to 2 in the morning and at 8 to 9 in the evening. Yoga, asana,
panayam, beverages and diet should be taken at least half an hour after exercise. One
should not drink water immediately after taking diet. Water should be drunk at least after
half an hour and should take a walk after meals. Everyday one should get up in Brahman
Muhut.
6. One should avoid the habit of tea, coffee, bidi, pan-masala liquor, alcohol or any other type
of addictions.
7. Excessive behavior causes excessive health loss. If possible, Brahmacharya should also be
followed. This reduces health problems.
पीड़ा, जन्म, मरण बुढ़ापा शरीर का है । काम क्रोध ,लोभ चिंता , जैसे विकार मन में है । मैं शरीर
नहीं, मैं मन नहीं लेकिन मै निर्विकार शास्वत सत्य आत्मा हूँ ।
2. मन प्रसन रहने से किसी भी रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है । मन में चिन्ता , शोक , विषाद
रखने से किसी भी रोग पर नियंत्रण नहीं रहता और रोग जल्दी से बढ़ता है । रोग से छुटकारा पाना
मुश्किल जाता है ।
3. मन से ही सबको आरोग्यता की कामना करनी चाहिए । जैसी भावना हम दूसरों के प्रति करते है
ठीक वैसी भावना ही हमें वापस प्राप्त होती है ।अल्सर , कलाइटिस , ब्लडप्रेशर , डायविटीज और
मानस रोग पीड़ित रोगियों को और जिसका भी मन अशांत हो उनलोगों को गुरु तथा ईश्वर की मूर्ति
के सामने ध्यान करना चाहिए। मन को सत्संग एवम आध्यात्मिक चिंतन में लगाना चाहिए ।
4. आयुर्वेद के ऋषि मुनियों का स्पष्ट मत है की त्वचा की बीमाड़ियाँ , कैंसर , पागलपन , अपस्मार और
वर्तमान समय में कई दुसाध्य और असाध्य बीमाड़ियाँ होने के कारण रोगी के इस जन्म और पूर्व जन्मों
के पाप कर्म है। इन्हें नियमित रूप से गायत्री मंत्र , महामृत्युंजय मंत्र का जप और ॐ के ध्वनि का
उच्चारण करना चाहिए ।
5. जैसा हम अन्न ग्रहण करते है ठीक वैसा ही हमारा मन बनता है, इसलिए हमें सात्विक आहार लेना
चाहिए। पूर्ववत किये हुए भोजन का योग्य पाचन हो जाने के बाद भूख के अनुसार योग्य आहार लेना
आवश्यक है । बहुत सारी बीमाड़ियाँ तो भूख से अत्यधिक खाने के कारण से होती है । इसलिए भूख
से कम आहार लेना अत्यंत आवश्यक है । भोजन समय पर यानि सुबह 8 से 10 बजे तक नास्ता और
12 से 2 बजे तक भोजन तथा रात्री का भोजन 8 से 9 बजे तक कर लेना चाहिए । योग , आसन ,
पाणायाम , व्यायाम के कम से कम आधे घंटे बाद ही पेय पदार्थ और आहार ग्रहण करना चाहिए ।
आहार लेने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए । कम से कम आधा घंटा बाद पानी पीना चाहिय
तथा भोजन के बाद टहलना चाहिए । प्रतिदिन ब्रह्म मुर्हुत में उठना चाहिए ।
6. चाय , काफी, बीड़ी , पान -मसाला दारू , शराब या किसी भी प्रकार के अन्य व्यसनों की आदत से
बचना चाहिए ।
7. संसार व्यवहार ज्यादा करने से स्वास्थ्य की अत्यधिक हानि होती है ।अगर सम्भव हो तो ब्रह्मचर्य का
भी पालन करना चाहिए । इससे स्वास्थ सम्बन्धी परेशानियाँ कम होती है ।
Things to pay attention to health security - read it daily and self-think
1. Waking up in the morning again and again in the day, thinking about myself that I am healthy, I am sick. This disease is of suffering, birth, death and old age. Work anger, greed Anxiety, such as a disorder is in the mind. I am not a body, I am not a mind, but I am formless I am the eternal true soul.
2. Control of any disease can be achieved by being mindful. Worry in mind,
Mourning, keeping sadness does not control any disease and disease quickly
Increases. It is difficult to get rid of the disease.
3. Everyone should wish for health. The feeling of others
We get back exactly the same feeling. Alsars, Kalitis,
Blood Pressure, Diabetes and Mood Disease Patients and Whose Mind
Those who are disturbed should meditate in front of the idol of Guru and God.
The mind should be engaged in satsang and spiritual thinking.
4. It is clear from the sages of Ayurveda that skin insurance, cancer, Insanity, epilepsy and
many incurable and incurable insurance in present time Due to being, the sin of this birth
and past lives of the patient is karma. Regular the Gayatri Mantra, chanting of
Mahamrityunjaya Mantra and pronunciation of the sound of ॐshould do .
5. Our mind is formed as we receive food, so we Satvik diet should be taken. Once the
undigested food is digestible After that it is necessary to take a suitable diet according to
hunger.
Many insurances are due to excessive eating due to hunger. Hence It is extremely important to
eat a diet that is less than hungry. Food should be eaten on time i.e. from 8 to 10 in the
morning and from 12 to 2 in the morning and at 8 to 9 in the evening. Yoga, asana,
panayam, beverages and diet should be taken at least half an hour after exercise. One
should not drink water immediately after taking diet. Water should be drunk at least after
half an hour and should take a walk after meals. Everyday one should get up in Brahman
Muhut.
6. One should avoid the habit of tea, coffee, bidi, pan-masala liquor, alcohol or any other type
of addictions.
7. Excessive behavior causes excessive health loss. If possible, Brahmacharya should also be
followed. This reduces health problems.
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